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हाइकु एक सत्रह वर्णीय कविता है. इसे वार्णिक कविता कह सकते हैं. त्रिपदीय मुक्तक में तीन पंक्तियां होती हैं. तीनों अपने आप में पूर्ण होती हैं. तीनों का अलग अर्थ होता हैं. तीनों पंक्तियां मिला कर एक वाक्य बनाती हैं. जापान में श्रृखंलाबंद्ध काव्यरचना की जाती थी. एक व्यक्ति तीन पंक्तियों यानी सत्रह वर्णों में अपनी बात कर कर छोड़ देता है. दूसरे व्यक्ति उसी भाव, भाषा और छंद में अपनी बात को आगे बढ़ाता है.इस तरह एक श्रृंखलाबद्ध काव्य रचना रची जाती हैं. इसे रेंगा कहते हैं. रेंगा के एक छंद यानी सत्रह वर्णीय भाग को होक्कू कहते थे. कालांतर में यह होक्कू स्वतंत्र रूप में रचे जाने लगे. इसे ही काव्य के रूप में हाइकु कहा जाने लगा. हाइकु का अपना रचना विधान है. यह तीन पंक्तियों में रची जानी वाली रचना है. पहली पंक्ति में 5 वर्ण होते हैं. बीच की पंक्ति में 12 वर्ण और अंतिम पंक्ति में पुन: 5 वर्ण होते हैं.
Verlag:
Pencil
Veröffentlicht:
2021
Druckseiten:
ca. 36
Sprache:
\u0939\u093f\u0902\u0926\u0940
Medientyp:
eBook